शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं के पंजीयन के लिये कृषकों को प्रोत्साहित करेंगे - मंत्री डॉ. भदौरिया

 सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा है कि भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा किसान उत्पादक सहकारी संस्था (एफपीओ) के राज्य के सहकारिता अधिनियमों में पंजीयन हेतु निर्देश प्रदान कर विस्तृत कार्य योजना जारी की गई है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक सहकारी संस्था के गठन हेतु मध्यप्रदेश सहकारिता अधिनियम 1960 के सुसंगत प्रावधानों के अनुरूप मॉडल बायलॉज का निर्माण किया गया है तथा सभी संयुक्त आयुक्त, उप आयुक्त व सहायक आयुक्त को निर्देशित किया गया है कि वे मैदानी स्तर पर कृषक संगोष्ठी आयोजित कर कृषकों को किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं के पंजीयन के लिये प्रोत्साहित करें।

   मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है तथा कृषकों के सामाजिक आर्थिक विकास में सहकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने व संगठित रूप से कृषि सेवाओं की उपलब्धता, विपणन व नई तकनीकों के अंगीकार करने में सहकारिता में गठित किसान उत्पादक संगठन अपनी सार्थक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता अन्तर्गत मॉडल बायलॉज के अनुसार किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं के गठन हेतु सहकारिता विभाग ने विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किये हैं।
सदस्यों की संख्या कम से कम 21 होगी
    आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएँ डॉ. एम.के. अग्रवाल ने बताया कि किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं के गठन के लिये मॉडल बायलॉज में सदस्य संख्या, सदस्यों की पात्रता, कार्यक्षेत्र, अंशपूंजी के साथ ही कार्य योजना व अन्य प्रक्रियाएँ निर्धारित की गई हैं। मॉडल वायलॉज के अनुसार किसान उत्पादक सहकारी संस्था का पंजीयन सहकारिता अधिनियम 1960 के प्रावधान अनुसार हो तथा सदस्यों की संख्या कम से कम 21 हो, जो भिन्न-भिन्न परिवारों के हों। यह सदस्य सहकारी संस्था की सदस्यता की पात्रता रखते हों किन्तु भारत सरकार की योजना से लाभ प्राप्ति के लिये न्यूनतम 300 सदस्य की मापदंड की पूर्ति तथा दिशा-निर्देशों का पालन करने पर ही पात्रता आयेगी।
कार्यक्षेत्र चयनित ग्रामों तक सीमित होगा
    आयुक्त सहकारिता डॉ. अग्रवाल ने बताया कि किसान उत्पादक सहकारी संस्था का कार्यक्षेत्र प्रारंभिक स्तर पर कुछ चयनित ग्रामों तक सीमित रखा जाए तथा एक समान संस्था के कार्यक्षेत्र में अन्य उत्पादक सहकारी संस्था का पंजीयन न किया जाए किन्तु भारत सरकार की योजना में सम्मिलित होने पर भारत सरकार के निर्देश भी लागू होंगे। किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं के लिये प्रत्येक सदस्य से निर्धारित अंशपूंजी एकत्रित कर सकेंगे। अंश का न्यूनतम मूल्य 100 रूपये तथा प्रवेश शुल्क 10 रूपये होगा किन्तु अंश मूल्य में वृद्धि प्रवर्तक सदस्य आपसी सहमति से कर सकेंगे।
कार्य योजना स्पष्ट, सारगर्भित एवं सर्वे के अनुरूप हों
    आयुक्त डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्रत्येक किसान उत्पादक सहकारी संस्था द्वारा प्रारंभिक कार्य योजना बनवाई जायेगी, जिसके उद्देश्य मॉडल बायलॉज के अनुरूप होने चाहिए। इनसे अलग उद्देश्यों को कार्य योजना में उल्लेख न किया जाए। उन्होंने बताया कि यदि भविष्य में इन संस्थाओं को भारत सरकार के निर्देशों के तहत विस्तृत कार्यक्षेत्र एवं कार्य योजना अनुरूप कार्य करना है तो इसके लिये कार्य योजना स्पष्ट, सारगर्भित एवं सर्वे के अनुरूप बनाई जाये। उन्होंने यह भी बताया कि कार्य योजना के निर्माण के लिये कृषि उद्यानिकी, पशुपालन आदि से संबंधित विभागों एवं एफपीओ विशेषज्ञों की सहायता भी ली जा सकती है।
प्रवर्तक सदस्यों के लिये पात्रता
    आयुक्त डॉ. अग्रवाल ने बताया कि किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं में जो भी प्रवर्तक सदस्य होंगे वह अधिनियम, उपनियम के तहत पात्रता रखते हों तथा न्यूनतम एक एकड़ कृषि भूमि के भूमिस्वामी हों, जिसके प्रमाण स्वरूप अद्यतन खसरे की प्रति लगानी होगी। परिचय के रूप में आधार कार्ड, स्वयं का फोटोग्राफ आदि निर्धारित प्रपत्र पात्रता हेतु लिये जाएंगे। इक्विटी शेयर का लाभ प्राप्त करने के लिये कुल सदस्यों में 50 प्रतिशत लघु सीमांत कृषक व महिला कृषकों को भी सदस्य बनाना होगा।
पंजीयक द्वारा समय समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा
   किसान उत्पादक सहकारी संस्थाओं के पंजीयन के लिये सहकारी अधिनियम/नियम एवं पंजीयक द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा सहकारी संस्थाओं के पंजीयन में उपरोक्त आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का भी पालन सुनिश्चित करना होगा।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी हमें प्राप्त हो चुकी है , संपादक या ब्यूरो चीफ जब भी लागिन करेंगें , आपकी टिप्पणी पर विचार करेंगें , अगर प्रकाशन योग्य होगी तो यहां अपने आप प्रकाशित कर दी जायेगी , अगर किसी प्रकार से विचार योग्य होगी तो तदनुसार विचार की जायेगी ।

मुख्यमंत्री ने दिये 20 साल पुराने केस में मुरैना के पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाही के मुरैना कलेक्टर को निर्देश , हाईकोर्ट ने दर्ज कराई एफ आई आर, पुलिस कोर्ट से चुरा लाई केस डायरी , धरे रही , सबूत फाड़ फाड़ कर फेंकें

    मुरैना 15 सितंबर ( ग्वालियर टाइम्स ) लगातार 20 साल तक कोर्ट और कानून की ऑंखों में धूल झोंक कर भारी भरकम रिश्वत और भ्रष्टाचार की विष्ठा ख...