(जनसंपर्क विभाग से फोटो प्राप्त नहीं ) पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये कि लंबित निर्माण कार्य गुणवत्ता के साथ पूर्ण करें। निर्माण कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने पिछली बैठक में लिये गये निर्णयों और विभाग की अन्य विकास एवं हितग्राहीमूलक योजनाओं की समीक्षा भी की गई। बैठक में राज्य मंत्री श्री रामखेलावन पटेल भी उपस्थित थे।
मंत्री श्री सिसोदिया ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक में शांतिधाम, स्कूलों की बाउण्ड्री-वॉल, गौ-शालाओं का निर्माण कार्य और प्रदेश में बच्चों के लिये मध्यान्ह भोजन के लिये डायनिंग हॉल का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा किया जाये। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की हितग्राही मूलक योजनाओं को अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुँचाने और लाभान्वित करने के निर्देश दिये। सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में मैदानी अधिकारी विशेष रुचि लेकर कार्य करें। स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये उन्हें अन्य योजनाओं से जोड़ें।मंत्री श्री सिसोदिया ने कहा कि शासन की योजनाओं और विकास कार्यों की जानकारी ग्रामसभा में रखी जाये। ग्रामसभा का आयोजन प्रत्येक दो माह में किया जाये। ग्रामसभा की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई जाये। ग्राम में चल रहे सी.सी. रोड में गुणवत्ता का ध्यान रखें। श्री सिसोदिया ने मनरेगा के तहत किये जा रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने प्रदेश में खाली बंजर पड़त भूमि की जानकारी प्राप्त करने के साथ गौचर भूमि में चारागाह विकास करने, वर्मी कम्पोस्ट, भू-नाडेप बनाने के निर्देश दिये। इसके अलावा खेत की मेड़ों पर पेड़ लगाने के लिये कृषकों को प्रेरित करने के निर्देश दिये।
बैठक में मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के तहत प्रधानमंत्री ग्राम-सड़क योजना, राज्य शासन द्वारा प्रवर्तित मुख्यमंत्री ग्राम-सड़क योजना में निर्मित ग्रेवल कार्यों का डामरीकरण, स्टेट कनेक्टिविटी, स्टेट मण्डी एवं पंचायती राज संस्था से प्राप्त निधि एवं डीएसएफ मद में स्वीकृत सड़कों, पुलों का निर्माण कार्य, उक्त सभी योजनाओं के तहत निर्मित सड़कों के निर्माण कार्यों की समीक्षा की गई।
अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने बैठक में बताया कि मध्यप्रदेश देश में आवास निर्माण के मामले में अव्वल है। अभी तक 17.55 लाख आवास निर्माण किये जा चुके हैं। मेशन प्रशिक्षण में भी देश अव्वल है। अभी तक 51 हजार राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसमें 9 हजार महिला राजमिस्त्री शामिल हैं।
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